जब से खाटू आया,
खाटू वाला बना मेरा,
अपने ना बने अपने,
अपने ना बने अपने,
इसने पकड़ा हाथ मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा ॥

मुफ़लिस में जो सोचा था,
ये ना मिल पाएगा कभी,
मैं सोच के भूल गया,
इसने लिख ही लिया था तभी,
मेरी सोच बदल करके,
सपना किया पूरा मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा ॥

कभी खुद को मैं देखता हूँ,
कभी देखूं दानी को,
निज हाथों से पोंछा,
मेरी अखियों के पानी को,
अखियां अब भी बरसे,
पर बदला भाव मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा ॥

सर उठा के जो जीना है,
दुनिया में अगर प्यारे,
खाटू जाकर देखो,
होंगे वारे न्यारे,
फिर सबको कहोगे तुम,
परिवार है ये मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा ॥

जब से खाटू आया,
खाटू वाला बना मेरा,
अपने ना बने अपने,
अपने ना बने अपने,
इसने पकड़ा हाथ मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा ॥

जब से खाटू आया, खाटू वाला बना मेरा – भावार्थ और अर्थ

यह कविता खाटू श्याम जी के प्रति असीम भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करती है। इसमें कवि ने खाटू श्याम जी के आने के बाद अपने जीवन में आए सकारात्मक बदलावों और आध्यात्मिक अनुभवों को साझा किया है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

भक्ति और समर्पण का भाव

जब से खाटू आया, खाटू वाला बना मेरा, अपने ना बने अपने, इसने पकड़ा हाथ मेरा।

इस पंक्ति का अर्थ है कि जब से कवि ने खाटू श्याम जी की भक्ति में समर्पण किया, तब से उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है। जिन लोगों से कवि ने अपनेपन की उम्मीद की थी, उन्होंने साथ नहीं दिया, लेकिन खाटू श्याम जी ने उनका हाथ थाम लिया और हर मुश्किल समय में उनका साथ दिया।

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कठिनाइयों में सहायता

मुफ़लिस में जो सोचा था, ये ना मिल पाएगा कभी, मैं सोच के भूल गया, इसने लिख ही लिया था तभी।

कवि बताते हैं कि उन्होंने सोचा था कि कुछ चीजें उनके लिए कभी भी संभव नहीं हो पाएंगी। परन्तु खाटू श्याम जी ने उनकी सोच को बदल दिया और वे सपने पूरे कर दिए जो कभी असंभव लगते थे।

आध्यात्मिक परिवर्तन

मेरी सोच बदल करके, सपना किया पूरा मेरा।

यहां कवि अपने जीवन में आए बदलाव की बात करते हैं। श्याम जी की कृपा से उनकी सोच में परिवर्तन आया, और उनके सपने पूरे हुए।

दुःख में भी सांत्वना

कभी खुद को मैं देखता हूँ, कभी देखूं दानी को।

इस पंक्ति में कवि अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि वे खुद को और खाटू श्याम जी को देखते हैं। श्याम जी ने उनके आंसुओं को अपने हाथों से पोंछा है, जिससे उनका दुःख कुछ हद तक कम हुआ है।

आध्यात्मिक प्रसन्नता

अखियां अब भी बरसे, पर बदला भाव मेरा।

कवि यह स्वीकार करते हैं कि जीवन में अभी भी कुछ दुःख हैं, लेकिन अब उनके दुःख के प्रति दृष्टिकोण बदल गया है। अब वे संतोष और शांति महसूस करते हैं।

खाटू श्याम की शरण में सुख

सर उठा के जो जीना है, दुनिया में अगर प्यारे, खाटू जाकर देखो, होंगे वारे न्यारे।

कवि इस पंक्ति में कहते हैं कि अगर कोई आत्म-सम्मान के साथ जीना चाहता है, तो उसे खाटू श्याम जी की शरण में जाना चाहिए। वहां जाकर हर व्यक्ति अपने जीवन में नए अनुभव और संतोष प्राप्त करेगा।

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परिवार और समाज की भावना

फिर सबको कहोगे तुम, परिवार है ये मेरा।

कवि यह महसूस करते हैं कि खाटू श्याम जी की भक्ति में समर्पण करने के बाद, उन्हें एक नई तरह का परिवार मिला है। यह परिवार भक्ति और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है, और उसमें उन्हें अपार सुख और शांति मिली है।

निष्कर्ष

कविता का सार यह है कि खाटू श्याम जी की भक्ति में समर्पण करने से कवि का जीवन बदल गया है। श्याम जी ने उन्हें उन क्षणों में सहारा दिया जब उनके अपने भी नहीं बने। इसके साथ ही, भक्ति ने उनके जीवन में दुखों के प्रति दृष्टिकोण बदल दिया है और उन्हें एक नया परिवार भी मिला है।

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