थासु विनती कराहाँ बारंबार,
सुनो जी सरकार,
खाटू का राजा मेहर करो ॥
था बिन नाथ अनाथ की जी,
कुण राखेलो टेक,
म्हासा थाके मोकला जी,
म्हासा थाके मोकला जी,
थासा तो म्हारे थे ही एक,
खाटू का राजा मेहर करो ।
थासु विनती कराहाँ बारंबार,
सुनो जी सरकार,
खाटू का राजा मेहर करो ॥
जाणु हूँ दरबार में थारे,
घणी लगी है भीड़,
थारे बिन किस विध मिटेगी,
थारे बिन किस विध मिटेगी,
भोले भगत की या पीर,
खाटू का राजा मेहर करो ।
थासु विनती कराहाँ बारंबार,
सुनो जी सरकार,
खाटू का राजा मेहर करो ॥
ज्यूँ-ज्यूँ बीते टेम हिये को,
छुट्यो जावे धीर,
उझलो आवे कालजो जी,
उझलो आवे कालजो जी,
नैणा सू टप-टप टपके नीर,
खाटू का राजा मेहर करो ।
थासु विनती कराहाँ बारंबार,
सुनो जी सरकार,
खाटू का राजा मेहर करो ॥
साथी म्हारे जिव का थे,
थासे छानी ना,
जान बूझ के मत तरसावो,
जान बूझ के मत तरसावो,
हिवड़े से लेवो लिपटाए,
खाटू का राजा मेहर करो ।
थासु विनती कराहाँ बारंबार,
सुनो जी सरकार,
खाटू का राजा मेहर करो ॥
ध्रुपद सुता की लज्जा राखी,
गज को काट्यो फंद,
सुणकर टेर देर मत किजो,
सुणकर टेर देर मत किजो,
श्याम बिहारी ब्रजचंद,
खाटू का राजा मेहर करो ।
थासु विनती कराहाँ बारंबार,
सुनो जी सरकार,
खाटू का राजा मेहर करो ॥
थासु विनती कराहाँ बारंबार,
सुनो जी सरकार,
खाटू का राजा मेहर करो ॥
थासु विनती कराहाँ बारंबार – एक प्रार्थना
इस भजन का अर्थ और महत्व
यह भजन खाटू श्याम जी के प्रति समर्पण और विनम्र प्रार्थना की अभिव्यक्ति है। भक्त अपने आराध्य से लगातार कृपा की याचना कर रहे हैं और अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति की आशा कर रहे हैं। इस भजन के हर शब्द में श्रद्धालु की गहरी भक्ति और श्याम जी के प्रति अद्वितीय प्रेम की भावना झलकती है। आइए इसके प्रत्येक अंश का गहराई से अर्थ समझते हैं।
खाटू का राजा मेहर करो
भजन की मुख्य भावना यह है कि खाटू के राजा श्याम जी अपने भक्तों पर कृपा करें। यह एक भावपूर्ण पुकार है, जिसमें भक्त अपने आराध्य से जीवन की परेशानियों और चुनौतियों से राहत की प्रार्थना कर रहा है। इस पंक्ति के माध्यम से भक्त यह जताता है कि श्याम जी की कृपा के बिना उसकी रक्षा संभव नहीं है।
बार-बार विनती
भजनकार बार-बार निवेदन कर रहा है कि श्याम जी उसकी प्रार्थना सुनें। यह भक्त की दृढ़ आस्था को दर्शाता है, कि वह निरंतर अपने भगवान से संवाद कर रहा है और यह भरोसा कर रहा है कि श्याम जी उसकी पुकार अवश्य सुनेंगे।
अनाथ की पुकार
इस भजन में भक्त स्वयं को “नाथ” यानी भगवान के बिना अनाथ समझ रहा है। वह कहता है कि भगवान के बिना उसकी कोई टेक, कोई सहारा नहीं है। यह एक अत्यधिक विनम्रता का प्रतीक है, जिसमें भक्त अपने आप को भगवान की कृपा पर निर्भर मानता है।
दरबार की भीड़ और पीड़ा
भक्त को यह भी ज्ञात है कि श्याम जी के दरबार में बहुत भीड़ होती है, फिर भी वह अपनी प्रार्थना भगवान तक पहुंचने की उम्मीद रखता है। वह कहता है कि भगवान के बिना उसकी पीड़ा मिट नहीं सकती। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि भक्त की सबसे बड़ी आशा और समाधान श्याम जी ही हैं।
धीरज खोना और आंसुओं की धारा
भजनकार यह व्यक्त करता है कि जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, उसका धीरज टूटता जा रहा है। उसकी हिम्मत खत्म होती जा रही है और उसकी आंखों से आंसू निरंतर बह रहे हैं। यह दुख और असहायता की चरम स्थिति को व्यक्त करता है, जहाँ भक्त अपने भगवान से सिर्फ सहारा मांग रहा है।
साथ देने की याचना
भजन में भक्त श्याम जी से यह भी निवेदन कर रहा है कि वे उसके जीवन के साथी बनें और उसे कभी न छोड़ें। यह भगवान से प्रेम और एकनिष्ठ भक्ति की भावना है, जहाँ भक्त अपने भगवान से पूर्ण समर्पण की उम्मीद करता है और उनसे लिपटकर शांति की अनुभूति करना चाहता है।
द्रौपदी और गजराज की रक्षा
यहां भक्त ने द्रौपदी और गजराज की कहानी का उल्लेख किया है, जिनकी भगवान ने रक्षा की थी। इसी तरह भक्त उम्मीद करता है कि श्याम जी उसकी भी रक्षा करेंगे और उसकी विनती सुनी जाएगी।
निष्कर्ष
यह भजन खाटू श्याम जी के प्रति अनन्य श्रद्धा, समर्पण, और प्रेम का प्रतीक है। हर पंक्ति में भक्त की प्रार्थना और भगवान के प्रति उसकी विश्वासपूर्ण पुकार छिपी हुई है। इस भजन के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि भगवान के प्रति संपूर्ण समर्पण और विनम्रता से जीवन की हर समस्या का समाधान संभव है।